आखिर क्या कारण है कि कुछ लोग, बड़ी से बड़ी परेशानी, को भी हरा देते हैं। एक शाम की बात है। कंचन अपनी मां को कहती है -जिंदगी में, अगर ज्यादा बड़ी परेशानी आ जाए, तो क्या करना चाहिए। उसकी मां ने कहा- अब से काफी साल पहले, एक राजा था। उसके आदेश पर, एक सिपाही ने, गांव की सड़क के बीच, एक बड़ा पत्थर रख दिया। राजा झाडि़यों में छिपकर देखता रहा कि कौन इस पत्थर को हटाता है। कई लोग उस रास्ते से गुजर रहे थे, लेकिन साइड में से, होकर चले जाते। किसी ने वो पत्थर नहीं हटाया, लेकिन रास्ते को साफ नहीं रखने के लिए, वो सब, राजा को दोष दे रहे थे।
कुछ देर बाद, सिर पर सब्जियों की टोकरी उठाए, एक आदमी वहां आया। वो रुका और अपनी टोकरी को एक तरफ रखकर, उस बड़े पत्थर को हटाने लगा। काफी देर तक कोशिश के बाद, अंत में उसने उस पत्थर को सड़क से हटा दिया। जब वो वापस अपनी सब्जियों की टोकरी उठाने लगा, तो उसने देखा कि, उसमें एक छोटा थैला पड़ा था। उसने खोलकर देखा, तो उसमें सोने की मोहरें और साथ में एक पत्र था। उस पत्र में राजा ने लिखा था - यह सोना उस व्यक्ति के लिए है, जिसने सड़क से पत्थर हटाया। हम अक्सर दूसरों से उम्मीद रखते हैं और इंतजार करते हैं कि कोई और, हमारी परेशानियों को दूर करेगा। लेकिन वास्तव में, समस्याओं में नहीं, बल्कि उनमें छिपी संभावानाओं और अवसरों को देखें।